जिस तरह लोकपाल बिल के बारे में आधी अधूरी जानकारी होने के बावजूद भी बच्चे बच्चे के मन में जन आन्दोलन की भावना थी और लोगों ने इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा भी लिया था.ठीक उसी तरह लोकप्रिय हो चला गाना 'कोलावारी डी' आज देश और विदेशों में बहुत ही मस्ती और जोश के साथ सुना और गाया जा रहा है.आज भले ही इस गाने को तमिल भाषा में होने के कारण कोई अच्छे से समझ न पा रहा हो पर आज हो न हो कोलावारी डी को इतनी उपलब्धि तो मिल ही चुकी है जितनी कि खुद बनाने और गाने वाले ने न सोची हो.आपको बता दूँ कि इस गाने में तमिल और इंग्लिश दोनों शब्दों के होने से इसे तंग्लिश गाना कहा जाने लगा है.फिल्म स्टार रजनीकांत के दामाद धनुष और बेटी ऐश्वर्या के मजाक मजाक में किये गए प्रयास ने इस गाने को देश दुनिया में बेशुमार प्रसिद्धी दी है.
आज कोलावारी डी का अर्थ भले कोई जाने न जाने पर फिर भी बच्चे से बूढ़े तक कि जुबान पर 'वाई दिस कोलावारी डी' है और आज कल ये यूथ एंथम बन चूका है....यूंकि वास्तव में कोलावारी डी का मतलब है 'जानलेवा गुस्सा'.इसी तरह बॉलीवुड में इसने अपनी अच्छी खासी पहचान बना ली है सुपरस्टार अमिताभ बच्चन से लेकर डायरेक्टर कारण जोहर और ढेर सारे सितारों ने भी इसे खूब पसंद किया है.
प्रचार और प्रसार करने के सबसे अच्छे माध्यम बन चुके फेसबुक और ट्वीटर जैसे और भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने इसे अच्छी तरह प्रमोट कर एक अलग और ऊँचे मुकाम तक पहुचायां है.ये कोई पहली बार नहीं है कि किसी गाने को न समझते हुए भी लोगों ने खूब पसंद किया है अभी कुछ दिन पहले भी फेमस फिल्म "ज़िन्दगी मिलेगी न दोबारा" का गाना 'सेनोरिता' जिसके आधे से ज्यादा शब्द स्पेनिश में थे फिर भी लोगों ने उसे बेहद पसंद किया.आज कल तो ऐसे गानों का प्रचलन सा है फिलहाल जो भी है पूछने पर लोग कहते है कि समझ नहीं आता तो क्या हुआ उसकी धुन तो बहुत अच्छी लगती है अब बताईये क्या होगा इन गानों जब इनमे सुर ताल का कोई सामंजस्य ही नहीं समझ आता.मोबिलिटी के ज़माने ने इन सभी को उड़ने का एक नया पंख सा दे दिया है जिससे वो अच्छी और तरह और बेफिक्र होकर उड़ सके.
कुछ ऐसे दिन भी थे जब लोग धुन के साथ साथ गाने के बोल,सुर,ताल पर ज़यादा ध्यान देते थे पर आज तो लोग चाहे गाना स्पेनिश हो या तमिल,मराठी हो या बांग्ला भाषा में हो बस धुन अच्छी होनी चाहिए और या तो उस गाने को सुनने के बाद पैर थिरकने लगे.
अगर ऐसा ही रहा तो शायद कम्पोज़र गाने में शब्द और सुनने वाले सिर्फ धुन खोजेंगे न कि शब्द.
शायद यही है बदलाव समय के साथ सब एक न एक दिन बदल सा जाता है.
आज कोलावारी डी का अर्थ भले कोई जाने न जाने पर फिर भी बच्चे से बूढ़े तक कि जुबान पर 'वाई दिस कोलावारी डी' है और आज कल ये यूथ एंथम बन चूका है....यूंकि वास्तव में कोलावारी डी का मतलब है 'जानलेवा गुस्सा'.इसी तरह बॉलीवुड में इसने अपनी अच्छी खासी पहचान बना ली है सुपरस्टार अमिताभ बच्चन से लेकर डायरेक्टर कारण जोहर और ढेर सारे सितारों ने भी इसे खूब पसंद किया है.
प्रचार और प्रसार करने के सबसे अच्छे माध्यम बन चुके फेसबुक और ट्वीटर जैसे और भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने इसे अच्छी तरह प्रमोट कर एक अलग और ऊँचे मुकाम तक पहुचायां है.ये कोई पहली बार नहीं है कि किसी गाने को न समझते हुए भी लोगों ने खूब पसंद किया है अभी कुछ दिन पहले भी फेमस फिल्म "ज़िन्दगी मिलेगी न दोबारा" का गाना 'सेनोरिता' जिसके आधे से ज्यादा शब्द स्पेनिश में थे फिर भी लोगों ने उसे बेहद पसंद किया.आज कल तो ऐसे गानों का प्रचलन सा है फिलहाल जो भी है पूछने पर लोग कहते है कि समझ नहीं आता तो क्या हुआ उसकी धुन तो बहुत अच्छी लगती है अब बताईये क्या होगा इन गानों जब इनमे सुर ताल का कोई सामंजस्य ही नहीं समझ आता.मोबिलिटी के ज़माने ने इन सभी को उड़ने का एक नया पंख सा दे दिया है जिससे वो अच्छी और तरह और बेफिक्र होकर उड़ सके.
कुछ ऐसे दिन भी थे जब लोग धुन के साथ साथ गाने के बोल,सुर,ताल पर ज़यादा ध्यान देते थे पर आज तो लोग चाहे गाना स्पेनिश हो या तमिल,मराठी हो या बांग्ला भाषा में हो बस धुन अच्छी होनी चाहिए और या तो उस गाने को सुनने के बाद पैर थिरकने लगे.
अगर ऐसा ही रहा तो शायद कम्पोज़र गाने में शब्द और सुनने वाले सिर्फ धुन खोजेंगे न कि शब्द.
शायद यही है बदलाव समय के साथ सब एक न एक दिन बदल सा जाता है.
यह नए प्रयोग का समय है। कुछ भी अलग या हटकर करने वालों को तारीफ मिलती है। कोलावेरी डी इसका सबसे ताजा सुबूत है। अच्छा लिखा है, जारी रखें।
जवाब देंहटाएंjo accha lage log usko pasand karte hain chahe kisi bhasha main ho
जवाब देंहटाएंकुछ अलग करने वालों को हमेशा से ही सम्मान मिलता है समाज में ...
जवाब देंहटाएंएकदम अलग हट कर लगा आपका आलेख।
जवाब देंहटाएंकुछ जानकारी भी मिलीं।
सादर
कल 23/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
Har koi kuch alag karna chahta hai....
जवाब देंहटाएंSangeet ke shabd nahi hote, bhashayein nahi hoti...jo mann ko achcha lage wo safal.....
बिल्कुल सही कहा है आपने ...बेहतरीन लेखन ।
जवाब देंहटाएंअच्छा लेख है.
जवाब देंहटाएंवैसे 'सेनोरिता' का म्यूजिक मुझे जबरदस्त लगा था और गाने का कॉरियोग्राफी भी!! :)
जवाब देंहटाएंऔर इस गाने के लिए तो बस--व्हाई दिस कोलावेरी कोलावेरी डी :P
बहुत सुन्दर लिखा है. इस गाने की लोकप्रियता की एक वजह लोकगीतों की धुन के साथ दूसरी भाषा का तड़का भी है. संगीत ने इस गाने में जान डाल दी है. यह गाना हमारी आने वाले समाज की झलक देता है. जहाँ "मायने"(अर्थ) का मौजूद होना कोई मायने नहीं रखता.
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