शनिवार, 18 जून 2011

क्या लायें है मेरे लिए....?

ज़िन्दगी की शुरुआत तो होती है उन दो रिश्तों से जिनसे हम सब कुछ सीखते हैं,वो हैं हमारे माता और पिता.धरती पर आने के बाद जब हमारी आंखे खुलती है तो हमारे सामने यही दो शख्स होते हैं जो हमें जीने की राह सिखाते हैं.यही वो दो हैं जो हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं.
अभी हाल में ही कुछ दिनों पहले मदर्स डे बीता है.माँ शब्द का ज़िक्र हर जगह कविता,कहानी,आदि में भरपूर तरीके से किया जाता रहा है और मदर्स डे पर मैंने अपनी माँ पर कुछ लाइन लिखी थी...उसी तरह आज फादर्स डे पर मैं कुछ बातें अपने पापा के बारे में लिखना चाहती हूँ.शायद हर किसी को अपने माता पिता सबसे ज्यादा अच्छे लगते है और उन्हें वो दुनिया से ज्यादा प्यारे भी होते हैं. आज मै बहुत खुश हूँ, जो मुझे ऐसे पापा मिले.मुझे बहुत प्यार और मेरी सबसे ज्यादा देखभाल करने वाले हैं मेरे पापा.मै आपको ये बता दूं की मेरे पापा बिलकुल एक नारियल की तरह हैं जो ऊपर से बिलकुल कठोर और अन्दर से बिलकुल नरम होता है.उनमे वो हर बात है जो एक अच्छे इंसान में होनी चाहिए.मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है जैसे साहस,आत्मसम्मान,निडरता आदि.आज मैं अपना कोई भी फैसला बिना उनकी मर्ज़ी के नहीं लेती.मै अपने पापा से बहुत प्यार करती हूँ.बचपन से आज भी जब पापा बाहर से आते हैं तो मेरा सबसे पहला प्रश्न होता है पापा क्या लायें है मेरे लिए....?अगर एक लड़की के मनोभाव से देखा जाये तो वो हमेशा अपने होने वाले जीवनसाथी में अपने पिता जैसी ही परछाईं देखना चाहती है.वो हमेशा चाहती है की जैसे उसके पिता ने उसे सारी बुराईओं से दूर रखा,इतनी सुरक्षा प्रदान की उसी तरह वो भी उसके साथ वैसे ही रहे.एक परिवार में पिता अपनी बेटी को सबसे ज्यादा प्यार करता है शायद उसकी बेटी दूसरे घर की अमानत जो होती है.आज मुझे अपने पिता पर पूरा गर्व है और सबसे ज्यादा भरोसा है.पिता का साया तो सामान्य तौर पर एक छत की तरह होता है.ये साया बच्चों के साथ तब तक रहता है जब तक बच्चा अपनी ज़िन्दगी में कुछ बन न जाये.पिता अपना बच्चों की प्रेरणा ही नहीं बल्कि एक बहुत बड़ी शक्ति भी होता है.इनके अनुशासन में ही पूरा घर रहता है.कहते हैं ना की भगवान् से बड़ा दर्ज़ा होता है हमारे माता पिता का,तो मेरी यही दुआ है की उनकी जोड़ी हमेशा ऐसे ही सलामत रहे और मेरे ऊपर उनका साया हमेशा बना रहे.

शुक्रवार, 17 जून 2011

यही ज़िन्दगी की रीति है.

रिश्ते बनना बिगड़ना तो ज़िन्दगी की निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है.हम अपनी पूरी ज़िन्दगी बहुत सारे रिश्ते बनाते हैं और बहुत सारे रिश्ते हमसे जाने अनजाने में छूट जाते हैं.क्या ये सही है?इस बात से बिलकुल इनकार नहीं किया जा सकता कि ये सिर्फ प्रक्रिया ही नहीं बल्कि एक सामाजिक बंधन के रूप में अब देखा जा रहा है.आज कहने को सारे रिश्ते एक मतलबी नामक चादर से ढके हुए हैं और सभी उसी में सो रहे हैं.आज सारा रिश्ता पूरी तरह मतलबी रस्सी से बंधा हुआ है.जब तक कोई मतलब है तब तक वो अपनों की तरह व्यवहार करते हैं और वही मकसद पूरा होने के बाद बिलकुल बदल जातें हैं.जगह जगह रिश्तों से हमें धोखे भी मिलते हैं.पर कुछ हो न हो हमें ऐसे रिश्तों से बहुत बड़ी सीख भी मिलती है.ज़िन्दगी के इस रंग में ऐसे रिश्ते आपको बहुत ज्यादा समझ देते हैं.हर किसी के ज़िन्दगी में ऐसे रिश्ते होते हैं ये सच हैं! इसी में कुछ लोग उसे झेल जाते हैं और कुछ ऐसे रिश्तों के पीछे अपनी पूरी ज़िन्दगी बर्बाद कर लेते हैं.ऐसे रिश्तों पर से पूरी तरह हमारा विश्वास भी हट जाता है.बड़ा दुःख होता हैं न जब कोई अपना ऐसा करता है कितना विश्वास होता है उस पर और वही अपना जिसे हम अपना सब कुछ समझ लेते हैं वो हमें धोखा दे देता है.आज समाज कितना बदल गया है. पहले की अपेक्षा अब ज्यादा मतलबी हो गयी है पूरी दुनिया.परिवार से ही शुरू करें तो आज बेटा माँ बाप से,पति पत्नी से,भाई बहन से,यहाँ तक दोस्त दोस्त से सभी इसी तरह मतलब से जुड़े हुए  हैं,फिर और रिश्तों की आगे बात ही क्या की जाये?यही मतलबी रिश्ते एक सबक और जीने का एक नया सलीका सिखाते हैं.बस शायद अब यही ज़िन्दगी की रीति है.

शुक्रवार, 3 जून 2011

'करने से होगा'

भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी मुहीम
अन्ना हजारे जी के नक़्शे कदम पर चल रहे इस देश के जाने माने योग गुरु बाबा रामदेव अब कल से रामलीला ग्राऊंड नयी दिल्ली में अनशन पर बैठने जा रहे हैं ...देखने वाली बात तो ये होगी कि सफलता कहाँ तक मिलती है? हम सभी देशवासी को इस बात का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा. जगह जगह न्यूज़ चैनलों और समाचार पत्र में इस समय की सबसे बड़ी खबर के रूप में चर्चा में हैं हमारे बाबा रामदेव जी,कारण हैं इस देश से भ्रष्टाचार का खात्मा करना.बैठेंगे वो अनशन पर कल से पर, दो दिन पहले से ही मीडिया में उनकी चर्चा ज़ोरों पर हैं.कहने को तो ये एक अनशन हैं पर पूरी तरह से तैयारियां ज़ोरों शोरों से की गयी है.जगह जगह इतनी कड़ी सुरक्षा का प्रबंध किया गया है,पानी की त्राहि त्राहि आज पूरे देश में मची है इसको देखते हुए पानी का पूरा बंदोबस्त किया गया है,लगभग वहां पर नलों कि संख्या १००० से ज्यादा बताई जा रही है .महिलाओं के लिए विशेष सुविधा है.बैठने और विश्राम करने के लिए आरामगाह भी बने है.देश के कोने कोने से उनके समर्थक वहां पर पहुँच चुके है,अनशन से पहले पूरे विधि विधान से यज्ञ आदि भी कराये जा रहे हैं.
क्या आप सभी को लगता है कि देश की इतनी बड़ी मुहीम लेकर अगर एक इन्सान आगे आया है तो उसे सफलता मिलेगी?क्या पहले भ्रष्टाचार नहीं था ?या बाबा रामदेव जैसा कोई नहीं था ?
बात कुछ अटपटी सी है.यहाँ तो बस देर कदम बढ़ाने की है.ये पूरी लड़ाई सिर्फ एक देश की नहीं बल्कि प्रत्येक नागरिक की है जो इस देश में रहता है.अरे!!! अनशन तो बहुत ही दूर कि बात है पहले तो हमें भ्रष्टाचार को खतम करने के लिए खुद अपने और अपने परिवार से शुरुआत करनी होगी जिसमें सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है.आज देश,समाज क्या हम अपने परिवार में ही निडर,विश्वास,और साहस के साथ नहीं रह सकते.देश,दुनिया में  घट रहीं नित निरंतर छोटी बड़ी घटनाएं इस बात का सबसे बड़ा सुबूत हैं कि भ्रष्टाचार किस पायदान पर है.बाबा के इस कदम को लोगों ने कई तरह का नाम दिया है जैसे ...किसी ने कहा बाबा मीडिया में रहना पसंद करते हैं,किसी ने कहा बाबा हाई लाइट होने के लिए इतना कुछ कर रहे,किसी ने कहा कि आने वाले २०१२ के चुनाव में बाबा अपना स्थान बनाना चाहते है इसलिए वो ऐसा कर रहे हैं.बात चाहे जो हो वो तो बाबा जाने पर यहाँ बात पूरी तरह से जनहित से जुड़ी हुई है.बाबा का कहा जाने वाला सबसे प्रसिद्ध वाक्य कि 'करने से होगा' पर आज बाबा ने अमल किया है और इतना बड़ा कदम उठाया है.जो वाकई काबिले तारीफ है और हम सभी देशवासियों का कर्त्तव्य है कि इस मुहीम में उनका भरपूर साथ दे.