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माननीय कुलपति प्रो सुन्दर लाल |
शनिवार, 30 अप्रैल 2011
पद नही इन्सान बडा होता है.........
मंगलवार, 12 अप्रैल 2011
समय कभी वापस नहीं आता ये वाकई मैंने महसूस किया
कहते है न समय कभी वापस नहीं आता ये वाकई मैंने आज महसूस किया कि बीता दिन कभी लौटकर नहीं आता.......पढाई लिखाई के इस अंग्रेजी दौर में ये तो चलन है कि अप्रैल माह आते आते स्कूलों में एडमिशन का दौर चलने लगता है जहाँ बच्चों कि लालसा उनकी नयी कॉपी,किताब,बैग,पेंसिल,रबर,नयी ड्रेस होती है वहीँ सबसे बड़ी दिक्कत माता पिता की जेब पर आ जाती है. लेकिन बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाने के लिए उन्हें सब करना ही होता है.आज ही मैंने सुबह न्यूज़पेपर में पढ़ा कि कॉपी किताब न मिलने के कारण बहुत ही अभिभावक परेशान भी है मुझे पढ़ के ये दुःख भी हुआ !!!फ़िलहाल ये तो बात रही उनकी परेशानियों की पर यहाँ तो बच्चों की उत्सुकता की है.आज छोटे भाई की नयी किताब,कॉपी,बैग आने से उसकी तो ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था मुझे अच्छा तो लगा पर सच में गुज़रा वो अपना दिन मुझे याद आ गया कि मै भी कभी ऐसी थी और मै भी बहुत खुश होती थी कि कल से स्कूल,नए दोस्त,नयी सीट,सभी नया नया होगा.बचपन के वो दिन कब गुज़र जाते है पता ही नहीं चलता और तब जल्दी से बड़े होने कि लालसा जो रहती है पर अब जब बड़े हो जाओ वही पुराने अच्छे पल वो दोस्त,स्कूल बहुत याद आते हैं.वास्तव में वो गुज़रे लम्हे वापस नहीं आते और अपनी मीठी मीठी यादें छोड़ जाते है.
सोमवार, 11 अप्रैल 2011
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती...
आइये हम सब मिल कर भ्रष्टाचार के खिलाफ आगे आये.अन्ना ने तो दिखा दिया कि आज भी अगर हिम्मत हो तो बड़े बडों को झुकाया जा सकता हैं.
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हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती।
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना,गिरकर चढ़ना न अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती ,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
-हरिवंशराय बच्चन
मंगलवार, 5 अप्रैल 2011
अधूरे ख्वाब ......
जिसको मैंने अपना समझा वो तो मेरा कभी था ही नहीं,
बस ख्वाब था,
एक छोटा सा जो मेरे साथ अभी भी है
उसकी परछाई को भी मैंने अपना समझा था,
शायद वो ख्वाब सिर्फ ख्वाब ही था
बस ख्वाब था,
एक छोटा सा जो मेरे साथ अभी भी है
उसकी परछाई को भी मैंने अपना समझा था,
शायद वो ख्वाब सिर्फ ख्वाब ही था
जो आज भी अधूरा अभी भी है.
क्रमशः ..........
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