शुक्रवार, 25 मार्च 2011

विचारों का असंतुलन

 असंतुलित विचार 
हम सभी मनुष्य योनि में जन्म लिए है और हमसे सम्बन्धित हमारे चारों तरफ कई तरह के विषय हैं.हर विषय के साथ हमारे साथ सबसे बड़ा विषय मनोविज्ञान है जो मनुष्य पर सबसे ज्यादा हावी है.इसी के चलते हमारे विचार भी अलग अलग है.हम सभी एक दूसरे से अलग विचार,अलग दृष्टिकोण,अलग भावनाएं और अलग सोच भी रखते है.मै इस पूरे समाज कि बात क्या करू? अगर उदाहरण लें तो सबसे पहले अपने परिवार के सदस्यों के बारे में सोचें  जो हमारे सबसे ज्यादा नजदीक है.हम सभी एक दूसरे से अलग सोच रखते है.किसी के विचार,सोच एक दूसरे से नहीं मिलते .सबकी पसंद अलग होती हैं,सब अलग तरह से सोचते हैं.हम सभी किसी को अपनी सोच के अनुरूप बदल नहीं पाते बल्कि उनके साथ सामंजस्य बनाते हैं क्यूंकि रहना हमें उन्हीं के साथ है.हम उन्हीं की सोच के मुताबिक काम करते हैं.परिवार में माँ-बाप भाई-बहन सभी के विचारों में कोई संतुलन नहीं देखने को मिलता.एक बच्चे के बारे में माँ कुछ सोचती है वहीँ पिता कुछ अलग सोचता है और कभी कभी इसी सोच के चलते बच्चे दिग्भ्रमित हो जाते हैं.परिवार में किसी सामूहिक निर्णय पर भी सभी की पसंद भी अलग होती है.कभी कभी तो बिलकुल असमंजस की स्थिति सी दिखाई पड़ती है.
ये बिलकुल एक साधारण सी बात है जिस पर जल्दी निगाह नहीं जाती.

बुधवार, 16 मार्च 2011

मेरा सबसे सच्चा साथी .....

आज मैंने अपने सबसे अच्छे और सच्चे दोस्तों को खोजना शुरू किया तो लगा कि जब मैं किसी को याद करती हूँ तभी वो दोस्त मुझे याद करते है जैसा की लोग कहते है कि ताली दोनों हाथों से बजती है, वही मैंने सोचा तो मुझे लगा कि हाँ आज इतनी भागती दौड़ती ज़िन्दगी में किसी को कहाँ फुर्सत है कि वो किसी को याद करे?अचानक से कुछ ख्याल आया और आँखों में आंसू आ गए  तो मुझे लगा शायद आपके  सबसे अच्छा साथी तो आपके आंसू हैं जो हर पल हर घड़ी सिर्फ आपके साथ ही होते हैं,वो चाहे ख़ुशी हो या गम वो हमेशा आँखों से सारी कहानी को बयां कर देते हैं.बहुत ख़ुशी और गहरे दुःख में ये आंसू ही आपकी मदद करते है.सभी ने कहा है कि रो लेने से दिल हल्का हो जाता है और ऐसा सच में है.आज हम सभी किसी को अपना नहीं कह सकते क्यूंकि मेरे हिसाब से जिस पर आप सबसे ज्यादा विश्वास करते है वो ही शख्स आपको धोखा दे जाता है,और दोस्ती में भी शायद ऐसा ही होता है दोस्त तो बहुत मुश्किल से मिलते है,लिस्ट तो बहुत लम्बी होती है पर उसमें से हमें खुद चुनना पड़ता है कि कौन अपना है कौन पराया है,और जब कोई दूर जाता है तब शायद ये आंसू ही होते हैं जो हमारी सबसे अच्छी मदद करते हैं.बहुत दिन बाद किसी से मिलने पर भी ये आंसू ख़ुशी के रूप में हमारी आँखों से निकल ही जाते हैं,तो मुझे लगा कि इससे अच्छा दोस्त और कोई नहीं जब वही दोस्त जिन्हें याद करने पर वो मुझे याद करते है और जब वो धोखा दे तो भी तो आंसू ही आते हैं.आपके मन का न हो या कोई बात बुरी लग जाये तो बस आंसू ही सबसे बड़ा सहारा होते हैं.
धन्यवाद् .

मंगलवार, 15 मार्च 2011

वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा आम बजट पर परिचर्चा का आयोजन

१४-०३-२०११ को परिचर्चा में बाये से दायें डॉ मानस पाण्डेय, डॉ पुरोहित ,डॉ एस के सिन्हा, डॉ मनोज मिश्र,डॉ आशुतोष सिंह, सञ्चालन धर्मेन्द्र सिंह और मैंने किया .




अमर उजाला समाचारपत्र

शुक्रवार, 11 मार्च 2011

सपना!!!!!!! ज़िन्दगी में कुछ करने का.....

आज एक सपना देखा तो बहुत अच्छा लगा पर अक्सर लोगों  से सुना है कि सपने कभी पूरे नहीं होते.पर क्या सपने देखना गलत है?जैसे जैसे ज़िन्दगी आगे बढती है वैसे वैसे हमारे सपने भी तो आगे बढ़ते है.हम सभी कुछ करने से पहले ज़िन्दगी में कुछ बनने से पहले उससे जुड़े सपने देखते है,भले वहां तक पहुचें या न पहुचें ......सपनों की दुनिया में खोना कितना अच्छा सा लगता है कितना अच्छा वो अहसास होता है जब हम सपना देख रहे होते हैं.खैर ये तो बात हुई सपने देखने की  पर अब बात यहाँ ये है कि सपना हम दिन में देखें या रात में?नींद में देखें या खुली आँखों से?ये कहना तो बड़ा मुश्किल है कि हम सपना देखें तो कब देखें?
कहते है बड़ा सोचोगे तो बड़े आदमी बनोगे..मैंने भी सोचा है कुछ नया और बड़ा बनने का.सपने तो मैंने भी बहुत देखे है अब बस उसके पूरा होने का इंतजार है...ज़िन्दगी में इतनी स्ट्रगल है कहते है मेहनत करो सब कुछ हासिल होगा बस उसी डगर पर हूँ,और सपने देखती रहती हूँ.आखिर में मेरे सपनों से मेरे माता पिता मेरे  गुरुजन सभी  के सपने जुड़े हुए है उन्हें पूरा भी तो करना है.