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असंतुलित विचार |
हम सभी मनुष्य योनि में जन्म लिए है और हमसे सम्बन्धित हमारे चारों तरफ कई तरह के विषय हैं.हर विषय के साथ हमारे साथ सबसे बड़ा विषय मनोविज्ञान है जो मनुष्य पर सबसे ज्यादा हावी है.इसी के चलते हमारे विचार भी अलग अलग है.हम सभी एक दूसरे से अलग विचार,अलग दृष्टिकोण,अलग भावनाएं और अलग सोच भी रखते है.मै इस पूरे समाज कि बात क्या करू? अगर उदाहरण लें तो सबसे पहले अपने परिवार के सदस्यों के बारे में सोचें जो हमारे सबसे ज्यादा नजदीक है.हम सभी एक दूसरे से अलग सोच रखते है.किसी के विचार,सोच एक दूसरे से नहीं मिलते .सबकी पसंद अलग होती हैं,सब अलग तरह से सोचते हैं.हम सभी किसी को अपनी सोच के अनुरूप बदल नहीं पाते बल्कि उनके साथ सामंजस्य बनाते हैं क्यूंकि रहना हमें उन्हीं के साथ है.हम उन्हीं की सोच के मुताबिक काम करते हैं.परिवार में माँ-बाप भाई-बहन सभी के विचारों में कोई संतुलन नहीं देखने को मिलता.एक बच्चे के बारे में माँ कुछ सोचती है वहीँ पिता कुछ अलग सोचता है और कभी कभी इसी सोच के चलते बच्चे दिग्भ्रमित हो जाते हैं.परिवार में किसी सामूहिक निर्णय पर भी सभी की पसंद भी अलग होती है.कभी कभी तो बिलकुल असमंजस की स्थिति सी दिखाई पड़ती है.
ये बिलकुल एक साधारण सी बात है जिस पर जल्दी निगाह नहीं जाती.