रविवार, 27 फ़रवरी 2011

आज और लड़कियां

जैसा कि कहा गया है कि एक सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है तो,महिलाएं जो आज देश कि ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की सबसे बड़ी शक्ति है.आज जो ये देश इतना प्रगति कर रहा है उसमे सबसे बड़ा योगदान हमारे देश की महिलाओं का ही है.हमने कभी ये सोचा भी नहीं था कि एक दिन ऐसा आयेगा जब देश की प्रधान मंत्री से लेकर राज्य की  मुख्यमंत्री तक की कमान एक महिला ही सम्हालेगी.आज महिला किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है पुरुषों से कंधे से कन्धा मिलाने वाले वाक्य को इन्होनें सच साबित कर दिया है.देश कि प्रगति के साथ माता पिता कि सोच के बदलते पैमाने ने लडकियों को बोझ न समझने वाला बना दिया है.यदि मै बात करू कुछ सफल महिलाओं  कि तो उधारण के लिए हम इंदिरा गाँधी,सरोजिनी नायडू,रानी लक्ष्मीबाई, किरण बेदी,कल्पना चावला,आदि का नाम ले सकते है.वर्त्तमान समय में सबसे जीता जागता उधारण हम सोनिया गाँधी और प्रतिभा पाटिल से ले सकते है.कुछ प्रतिशत लोगो को छोड़ दिया जाये जहाँ देश के कुछ राज्यों में शिक्षा का निम्न स्तर,भ्रूण हत्या,बाल विवाह जैसी चीज़े अभी है वरना महिलाओं ने हर जगह अपना भरपूर समर्थन दिया है.अगर हम भारत के विकास की  बात करेंगे तो शायद वहां  महिलाओं का योगदान भी ज़रूरी होगा बिना उसके विकास का पैमाना गलत है.आज लड़कियां माता पिता के लिए बोझ नहीं है बल्कि वो एक लड़के होने का पूरा फ़र्ज़ अदा कर रही है.आज सरकार कि तरफ से मुहैया करायी जा रही  विभिन्न तरह की योजनाओं ने लडकियों की शिक्षा को बहुत आगे बढाया है.शिक्षा,खेल,राजनीति,मीडिया आदि विभिन्न क्षेत्रों में लड़कियों ने अपनी एक अलग पहचान बनायीं है.मीडिया से जुड़े होने के कारण मैंने बहुत अच्छे से महसूस किया कि लड़कियां वाकई में बहुत कुछ कर सकती है.परिवार की देखरेख से लेकर तकनीकी तक के क्षेत्र में उन्होंने हर चीज़ को संभव किया है.आज हर लड़की के पास पूरा अधिकार है कि वो अपने लिए वो रास्ता चुने जो उसे पसंद हो.कॉलेज और विश्व विद्यालयों में पढ़ रही लडकियों को देख कर लगता है कि आज माता पिता कितने जागरूक है अपनी लड़कियों को शिक्षित करने के लिए.छोटे छोटे शहरों और गाँव में रह रही लड़कियों को तो कुछ पाबंदियों का सामना करना पड़ता है पर बड़े बड़े शहरों में रह रही लड़कियां आज बहुत कुछ कर रही है.आज बेटियां माता पिता का एक सहारा भी है.बहुत घर ऐसे है जहाँ बेटे, जिन्हें घर का चिराग कहते है वो नहीं है फिर भी माँ बाप गर्व से कहते है कि हाँ लड़का नहीं है तो क्या हुआ मेरी बेटी है मेरा सहारा.बहुत ख़ुशी तब होगी  जब बात हो सफलता की  और नाम आये एक लड़की का. बस आज ज़रूरत है एक सकारात्मक पहल की जिसमे वो आगे बढे और विकास करें.परिवार के साथ साथ देश का नाम भी रोशन करें आज मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक लड़की हूँ.
धन्यवाद्.

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

कुछ कहूँ ?

मुझे कुछ कहना है,
क्यूँ कहना है
पता नहीं -दिशा  नहीं
समय के सापेक्ष में,
दृष्टि के बोध में,
कुछ कहना चाहती हूँ,
कुछ बुनना -गुनना चाहती हूँ.

माता पिता और उनकी आशाएं

आशा एक ऐसा  वाक्य है जिस पर पूरी दुनिया चल रही है.आशा कोई नाम नहीं बल्कि वो है जो किसी दूसरे से किसी इच्छा को पूरा करने के लिए की जाती है.आशा का पक्ष हर जगह अलग अलग तरह का है.आशाएं  अच्छी और बुरी दोनों है यहाँ तो बात आजकल के माता पिता की है जिनकी आशाएं अपने बच्चो से सबसे ज्यादा होती है आज की इस भौतिकवादी और प्रतिस्पर्धा वाली दुनिया में सभी एक दूसरे से आगे जाने की होड़ में होते है. उसमे हमारे माता पिता ये सोचते है कि इन सभी में हमारा बच्चा सबसे आगे हो और जब ऐसा नहीं हो पता तो वही पर सारी आशाएं टूट जाती है और उन्हें उन बच्चो के साथ बहुत दुःख होता है अगर देखा जाये तो आजकल के बच्चे विभिन्न तरह कि गतिविधियों में हिस्सा ले रहे और आगे आ रहे है जैसे खेल,संगीत,शिक्षा इत्यादि. चलन में बढ़ रहे रियलिटी शो ने इन्हें एक नयी पहचान दी है .आज इस शो ने छोटे छोटे गाँव और कस्बों के बच्चो कि निखरती प्रतिभा को एक नया मुकाम दिया है ये तो हुआ सकारात्मक पक्ष पर इन चीजों का एक नकारात्मक पक्ष भी उभरकर सामने आ रहा है जैसे कुछ दिन पहले कि घटना ने मुझे बहुत दुखी किया कि एक रियलिटी शो में सेलेक्ट न होने क कारण  एक बच्चे ने खुदखुशी कर ली.आज माँ बाप कि आशाओं  ने बच्चो को बहुत कुछ करने पर भी मजबूर कर दिया है.आगे जाने कि होड़ में सभी दिशा विहीन होते जा रहे है पर उधर थ्री इडियट,पटियाला हाउस जैसी फिल्मों ने कुछ हद तक इस रास्ते को मोड़  दिया है. विभिन्न आयामों में ऐसे ऐसे कोर्सो  के आ जाने से बच्चो के  सामने कई विकल्प है जिससे उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है आगे बढ़ने के  कारण फिर वही बात माँ बाप कि आशाएं भी बढ़ रही है.वो सोचते है कि उस भीड़ में उनका बच्चा सबसे अलग हो आगे जाये और उनका सर गर्व से ऊँचा हो सके.धन्य है वो माता पिता जिनके बच्चों ने उनका नाम रोशन किया है.एक सफल बच्चे के पीछे सबसे बड़ा हाथ उसके माता पिता का होता है तभी तो वो उस सफलता को पता है जिसके वो योग्य है.अंत में मेरा मानना  है कि सभी माता पिता को अपनी संतान पर पूरा भरोसा होना चाहिए कि वो ऐसा करेगा जिससे उनका नाम रोशन होगा और उसे उसी क्षेत्र में भेजना चाहिए जिसमे वो अपना बेस्ट कर सके और उसे पूरी स्वतंत्रता देनी चाहिए जिससे वो शारीरिक और मानसिक रूप से अच्छी तरह पनप सके.